Book kavi for hasya kavi sammelan Kavi sammelan(s) are being organised in every part of India on different occasions and functions. All sorts of emotions and expressions are being d
Best Kavi Sammelan Organisers in India Hasya kavita, hasya kavi and hasya kavi sammelan - all these words take us into a world of smiles and laughters. Kavi sammelan are being very much
Hasya Kavi Surendra Sharma Hasya kavi Surendra Sharma is a man who has taken Hindi Hasya kavita to new heights and provided a new dimension in the world of Hindi Hasya kavita
How to organise kavi sammelan Kavi sammelan is being the coolest form of entertainment for intellectual listeners. People like to enjoy kavi sammelan on various functions and oc
Shambhu Shikhar, one of the most popular Hasya Kavi of our country Shambhu Shikhar, one of the most popular Hasya Kavi of our country, is being the synonym of laughter these days. Shambhu Shikhar directly comes fro
हिंदी कवि सम्मेलन और भारतीय परिवेश हिंदी कवि सम्मेलन और भारतीय परिवेश के साथ एक गहरा रिश्ता है. समाज का एक बड़ा वर्ग मनोरंजन के साथ साथ जीवन को नई दिशा देने के लिये कवि सम्मेलन का सहा
Future of Hindi Kavi Sammelan Organizer कवि सम्मेलन का भविष्य आधुनिकता ने जिस तेजी से सामान्य जनजीवन के विभिन्न पहलुओं को बदला है वैसे ही कवि सम्मेलन के परंपरागत स्वरूप में भी अ
Independence Day Celebration and Kavi Sammelan Organizer स्वतंत्रता दिवस और हिन्दी कवि सम्मेलन देश की आजादी का जश्न हो और कवि सम्मेलन का मंच न सजे, ऐसा होना संभव नहीं है. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर दे
Hindi Pakhwara and Kavi Sammelan Organizers हिन्दी पखवाड़े में कवि सम्मेलन का आयोजन हिन्दी दिवस और हिन्दी पखवाड़े का आयोजन हर साल देश में बेहद धूमधाम के साथ होता है. 14 सितंबर से आरंभ होकर
Janmashtami Wishes by Kavi Sammelan Organizers Please Contact - +91-9999428213 / 9910453386 to Organize Hasya Kavi Sammelan across the world
Kavi Sammelan Organized by Kavi Sammelan Organizers in Wedding Function in Delhi भिवाड़ी के गर्ग परिवार (Garg Family, Bhiwani)ने दिल्ली में आयोजित शादी समारोह में आये परिजनों को ख़ास उपहार के रूप में हास्य कवी सम्मेलन (Hasya
एक दिन राधा को प्रेम की तेज़ हूक उठती है और वो जो कुछ अपनी सखियों से कहती है, वो इन छंदों में प्रस्तुत है कृष्ण मथुरा जा चुके हैं। बहुत दिन बीत गए हैं। अचानक एक दिन राधा को प्रेम की तेज़ हूक उठती है और वो जो कुछ अपनी सखियों से कहती है, वो इन
Kavi Sammelan Organizers प्रीति विश्वास देश महान हमारा कण-कण तीर्थ करोड़ों बसते क्षण-क्षण पर्व जहाँ है कोई बतलाए दुनिया में ऐसा स्वर्ग कहाँ है गंगा, यमुना, सरस
कर्मवीर..अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ कर्मवीर अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ देख कर बाधा विविध, बहु-विघ्न घबराते नहीं रह भरोसे भाग्य के, दु:ख भोग पछताते नहीं
हमन को इंतज़ारी क्या कबीर हमन है इश्क़ मस्ताना, हमन को होशियारी क्या रहें आज़ाद यों जग से, हमन दुनिया से यारी क्या जो बिछुड़े हैं पियारे से, भटकते दर-ब-दर फिर
वेदना...वह सालों-साल रात के तीसरे पहर तक विवेक मिश्र वह सालों-साल रात के तीसरे पहर तक उनींदी पलकें पीले बल्ब पर सेंकता होगा दफ़्तर के दमघोंट कमरे में फ़ाइलों के भँवर में डू
नदी तुम स्त्री...उतर रहा हूँ मैं तुम्हारे भीतर हर्षवर्द्धन आर्य (एक) उतर रहा हूँ मैं तुम्हारे भीतर गहरा, और गहरा अन्दर, और अन्दर तुम्हारी अठखेलियों संग इठलाता अंजुरी भर-भर ओट
उर्मिलेश शंखधर...जाने कब से तरस रहे हैं, जाने कब से तरस रहे हैं, हम खुल कर मुस्कानें को इतने बन्धन ठीक नहीं हैं, हम जैसे दीवानों को लिये जा रहे हो दिल मेरा, लेकिन इतना याद रहे बेच
अरुण जैमिनी...एक आदमी ने धरती से किया प्रस्थान एक आदमी ने धरती से किया प्रस्थान और यमराज के कक्ष में घड़ियाँ-ही-घड़ियाँ देखकर रह गया हैरान हर देश की अलग घड़ी थी कोई छोटी कोई बड़ी थी
एक आदमी ने धरती से किया प्रस्थान एक आदमी ने धरती से किया प्रस्थान और यमराज के कक्ष में घड़ियाँ-ही-घड़ियाँ देखकर रह गया हैरान हर देश की अलग घड़ी थी कोई छोटी कोई बड़ी थी
अलका सिन्हा...पहले के गाँवों में हुआ करते थे अलका सिन्हा पहले के गाँवों में हुआ करते थे भंडार घर भरे रहते थे अन्न से, धान से कलसे डगरे में धरे रहते थे आलू और प्याज गेहूं-चावल क
सुधीर मौर्या “सुधीर’......बारिश को देखती बारिश को देखती वो कमसिन लड़की हाथ बड़ा कर पानी की बूंदों को कोमल हथेलियों में इकट्ठा करती फिर ज़मीं की जानिब उड़ेल देती में उसके पास जा
अंजू जैन.....जागो अब तो जागो जागो देश महान जागो अब तो जागो जागो देश महान मेरे प्यारे हिन्दुस्तान अब तो जागो… सोने की चिड़िया कहलाता था ये देश हमारा बन कर मित्र चलाया तब द
कविता वत्स,बेटी पत्नी और बहन की मर्यादाओं से दूर बेटी पत्नी और बहन की मर्यादाओं से दूर किसी और अस्तित्व की तलाश में घर के देहलीज लांघ जब आँख उठाकर देखा तो पता चला कि मै
शंभू शिखर .... मौसम की पहली बारिश से मौसम की पहली बारिश से धरती की कोख़ में दबे बीज से निकले नन्हे बिरवे, बिल्कुल ऐसे ही लगते हैं जैसे माँ की कोख़ से धरती पर आई न
अखलाक़ मौहम्मद ख़ान ‘शहरयार’ सीने में जलन, आँखों में तूफ़ान-सा क्यूँ है इस शहर में हर शख़्स परेशान-सा क्यूँ है दिल है तो धड़कने का बहाना कोई ढूँढे पत्थर की तरह बेहि
चरणजीत ‘चरन’ चरणजीत ‘चरन’ देखना जब इधर से उधर जाओगे ये तो तय है कि तुम भी मुकर जाओगे तुमसे नज़रें मिलीं थीं यूँ ही
वेद प्रकाश ‘वेद’ कमाल हो जाएगा तारकोल की काली सड़कों का रंग लाल हो जाएगा छिपकली की कटी पूँछ की तरह कटे हुए धड़ काली सड़क के लाल &lsq
पैदाइशी गंभीर की गंभीरता वो एक बेहद गंभीर इंसान हैं| वो व्यंग्य लिखते हैं और पूरी गंभीरता के साथ लिखते हैं| वो इस बात को भी लेकर गंभीर हैं कि व्यंग्य को गंभीरता स